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लेखनी कहानी -11-Sep-2022 सौतेला

भाग 17 
संपत का घर दुल्हन की तरह सजा हुआ था । संपत तो इस विवाह को सादगी के साथ संपन्न करना चाहता था किन्तु कामिनी की इच्छा थी कि यह विवाह उसके लिए अविस्मरणीय बन जाये । वह पुरानी कटु यादों को इस मिलन की मधुर बेला में गलाकर घोल देना चाहती थी । उसने विशेष ऑर्डर देकर अपना कमरा और सुहाग सेज शानदार तरीके से सजवाई थी । संपत की इच्छाओं ने अब गुलामी का रूप ले लिया था और वे कामिनी की इच्छाओं का हुकुम बजाने लगी थीं । कामिनी अब न केवल संपत के घर की मालकिन थी अपितु वह अब संपत की स्वामिनी भी थी । 

इस विवाह से वैसे तो सभी प्रसन्न थे । बाबूजी , अनीता , दौलत , सुमन सभी आनंद के समुन्दर में गोते लगा रहे थे परन्तु नई मां की बात ही कुछ और थी । उसके पैर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे । आखिर अपने बेटे का घर फिर से बस रहा था । कौन सी ऐसी मां है जो अपने बेटे का घर बसते हुए देखकर खुश नहीं होगी ? नई मां के पैर धरती पर नहीं पड़ रहे थे । उसने शिवम को नहला कर नये कपड़े पहनाकर तैयार कर दिया था । शिवम अब 2 वर्ष का हो चुका था । तुतलाकर बोलने लगा था । उसे दिन भर कहा जाता था कि तेरी नई मम्मी आ रही है इसलिए वह कामिनी को नई मम्मी कहने लगा । नई मम्मी पाकर वह भी फूला नहीं समा रहा था  । 

कामिनी ने जैसे ही घर में प्रवेश किया तो नई मां ने शिवम को कामिनी की गोदी में देकर कहा "लो बहू संभालो अपनी अमानत को । अबोध बालक है । ममता का आकांक्षी है । इसकी झोली अपनी ममता से इस प्रकार भर देना कि इसे अपनी मां की याद ही नहीं आये कभी । सौतेली मां की जैसी ख्याति जगत में बनी हुई है, तुम उसे बदल कर रख देना बहू । मैं भी संपत की सौतेली मां हूं पर ईश्वर साक्षी है, मैंने संपत को अपने जाये बेटे दौलत से अधिक प्यार दिया है । अब बारी तुम्हारी है पुत्री । तुम इस लकीर से बड़ी लकीर खींचकर इसे छोटा कर देना तभी मुझे संतोष होगा" नई मां की आंखें आंसुओं से भरी हुई थीं । 

कामिनी को नई मां की बातें विष भुजे तीर की मानिन्द लग रही थी । शादी का अवसर था और वह पहली बार ससुराल आई थी । सभी मेहमान मौजूद थे इसलिए वह कुछ कह नहीं सकती थी मगर उसका खून अंदर ही अंदर उबलने लगा था । "बुढिया सबको अपनी तरह समझती है क्या ? खुद मूर्ख है और सबको मूर्ख समझ बैठी है तो मैं क्या करूं ? मैं मूर्ख नहीं हूं । मेरे अरमान अभी तक कुंवारे हैं मैं उन्हें सजाऊं या इस 'सौतेले बेटे' को पालूं ? अभी तो मेरी सुहागरात भी नहीं मनी है और बुढिया ने इस 'हरामी' को मेरी गोदी में डाल दिया है । मूर्खता की भी हद है भई । अब इसे कैसे समझाऊं कि मुझे इस शिवम में कोई रुचि नहीं है" वह मन ही मन सोचने लगी । 

कामिनी को चुप देखकर अनीता बोल उठी "क्या सोचने लगी भाभी" ? 
"कुछ भी नहीं । शिवम कितने प्यारे हैं , बस यही सोच रही थी" जैसे तैसे वह बोली 
"हां, बहुत क्यूट है शिवम । आप इसकी मासूमियत बरकरार रखना भाभी । अब इसकी मां तुम्ही हो । तुम यशोदा बनकर इसे पालना" अनीता ने बहुत आशा भरी निगाहों से देखकर कहा । 

कामिनी ने कोई जवाब नहीं दिया । वह सबसे फ्री होकर अपने कमरे में जाकर आराम करना चाहती थी इसलिए उसने कहा "कितनी गर्मी है यहां" ? 
"हां, गर्मी तो बहुत है । ऐसा करो , तुम अपने कमरे में जाकर आराम कर लो । जाओ" नई मां उसकी हालत देखकर बोली  ।
कामिनी ने शिवम को गोदी से उतारा और वह अपने कमरे में चली गई । उसने धड़ाम से दरवाजा बंद कर लिया । उसकी यह एक्टिविटी सबको नागवार गुजरी पर किसी ने कुछ नहीं कहा । संपत ने शिवम को गोदी में बैठा लिया और उसके सिर पर हाथ फिराने लगा । शिवम संपत की गोदी में ही सो गया । संपत भी थका हुआ था इसलिए वह शिवम को साथ लेकर वहीं पर ही सो गया । 

रात हो गई थी । सबके अरमानों की रात एक बार ही आती है जीवन में, मगर यहां ऐसी रात संपत और कामिनी दोनों के लिए दुबारा आई थी । संपत को गायत्री के साथ गुजारी वह रात याद आ रही थी मगर कामिनी पर उमंगों का भूत सवार था । उसके अरमान अपने वश में नहीं थे । वह अच्छे से तैयार होकर अपनी सेज पर संपत का इंतजार करने लगी । 

संपत गायत्री की दुनिया में ही खोया हुआ था । अनीता और सुमन ने उसे कामिनी के कमरे में जबरन ठेल दिया । नई मां ने शिवम को पहले ही सुला दिया था । संपत और कामिनी उस रात को अविस्मरणीय बनाने में व्यस्त हो गये । 

अगले दिन शिवम जागा तो वह पापा पापा करके रोने लगा । नई मां ने उसे बहलाने का खूब प्रयास किया लेकिन वह चुप ही नहीं हो रहा था । थक हारकर नई मां ने संपत को आवाज लगाई । कामिनी की नींद खुली तो उसे अच्छा नहीं लगा । "आज के दिन भी ये लोग ढंग से सोने भी नहीं दे रहे हैं । कैसे जाहिल लोग हैं ये । एक दिन बच्चे को संभाल नहीं सकते हैं क्या" ? कामिनी मन ही मन सोचने लगी । 

"संपत । उठो बेटा । शिवम बहुत तेज रो रहा है । हमसे चुप ही नहीं हो रहा है वह । एक बार गोदी में लेकर उसे प्यार कर लो फिर चुप हो जाएगा वह" नई मां ने कामिनी के कमरे के बाहर से आवाज लगाई । 

संपत हड़बड़ाकर उठा और बाहर भागने लगा । 
"एक मिनट रुको संपत । पहले कपड़े तो पहन लो । यह मत भूलो कि अब तुम अकेले नहीं हो यहां, मैं भी तुम्हारे साथ हूं । मुझे भी कपड़े पहनने दो फिर दरवाजा खोलना" कामिनी ने उसे याद दिलाया । 

कामिनी की बात सुनकर संपत झेंप गया और फटाफट कपड़े पहनने लगा । कामिनी भी अपने कपड़े लेकर ड्रेसिंग रूम में चली गई । संपत दौड़कर बाहर निकला और उसने शिवम को गोदी में लेकर उसे खूब प्यार किया । रोते रोते शिवम का बुरा हाल हो चुका था । उसके आंसू गालों पर लुढ़क कर सूख गये थे । संपत को शिवम की यह हालत देखकर बहुत दुख हुआ पर वह क्या कर सकता था ? उसने शिवम को चुप कराया, खाना खिलाया और थपकी देकर उसे सुला दिया । तब तक कामिनी भी तैयार हो गई थी । 

अनीता और सुमन कामिनी को छेड़ने का कोई मौका नहीं चूकना चाहतीं थीं इसलिए दोनों उसे छेड़ने लगीं । 
"नींद कैसी आई भाभी" ? अनीता ने छेड़ते हुए कहा 
"पहली रात को भी कोई सोता है क्या दीदी ? आप भी कैसी बातें करती हैं दीदी ? भाभी की आंखें देखकर भी पता नहीं लग रहा है क्या आपको" ? सुमन आंख मारते हुए बोली । 
"अरे हां , मैं भी कैसी पागल हूं जो ऐसे प्रश्न पूछ रही हूं" हंसते हंसते अनीता बोली । फिर कामिनी की आंखों में देखकर बोली "कहो भाभी , रात कैसी गुजरी ? ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है बदन में" ? अनीता के होठों पर शरारत नाच रही थी । 

कामिनी को ऐसी छेड़छाड़ बहुत पसंद थी । उसे बहुत अच्छा लग रहा था । वह मंद मंद मुस्कुराने लगी । 
"बोलो ना भाभी, चुप क्यों हो ? कैसी रही रात" ? सुमन को बहुत अधिक जिज्ञासा थी । विवाहित लड़कियों को तो उस रात के आनंद का पता होता है मगर अविवाहित लड़कियां उस रात के आनंद के बारे में जानने को बहुत आतुर रहती हैं । अनीता ने तो जन्नत की हकीकत देख रखी थी मगर सुमन अभी उससे दूर थी इसलिए उसे कुछ ज्यादा ही हुचंग छूट रही थी । 
"अपने भैया से ही पूछ लो दी , वे बता देंगे" । कामिनी दबे स्वर में बोली 
"आप ही बता दो ना भाभी , प्लीज ! हम तो आपके मुंह से ही सुनना चाहती हैं" सुमन मिन्नतें करते हुए बोली । 
"क्या बताऊं ? तुम्हारे भैया ने कुछ किया हो तो बताऊं । वे तो आते ही बिस्तर पर सो गये" कामिनी ने व्यंग्यात्मक हंसी के साथ कहा 
"भैया ऐसे नहीं हैं भाभी । वे आप जैसी खूबसूरत परी पाकर सो ही नहीं सकते हैं । आपके हुस्न का जादू इस कदर छाया है उन पर कि वे उसमें डूबे बिना रह ही नहीं सकते हैं । फिर, कल की रात का तो वो कबसे इंतजार कर रहे होंगे । इतने इंतजार के बाद जो चीज हाथ में आई थी , उसका आनंद लिये बिना वे कैसे सो सकते थे" ? सुमन के स्वर में आग्रह था । 
"आपकी जब शादी होगी तब आपको पता पता चल जायेगा कि पहली रात में क्या होता है ? कहो तो तुम्हारे भैया से कहकर तुम्हारी शादी पक्की करा दें" कामिनी पलटवार करते हुए बोली । 

कामिनी से जीतना सुमन को असंभव लग रहा था । वह पैर पटकते हुए खड़ी हुई और बोली "ठीक है मत बताओ , हम भैया से ही पूछ लेंगे" रूठने का झूठा नाटक करते हुए सुमन चली गई । पीछे केवल अनीता रह गई थी । उसने कामिनी का मुँह ऊपर उठाकर उसकी आंखों में देखकर गंभीर स्वर में पूछा "आप दोनों के बीच में वो पति पत्नी वाला काम तो हो गया है ना भाभी" ? 

इस प्रश्न पर कामिनी लजा गई और हल्के से गर्दन हिलाकर बता दिया कि वह काम हो चुका है । खुशी के मारे अनीता ने कामिनी का माथा चूम लिया और उसे पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया 
"इतनी जल्दी नहीं दी । अभी तो मौज मस्ती करने दो । बच्चे पैदा करने के लिए तो अभी बहुत उम्र पड़ी है" कामिनी ने उसे टोकते हुए कहा । 
"अच्छा बाबा , जब चाहो तब कर लेना बच्चा । वैसे अभी जल्दी भी क्या है ? अभी तो शिवम भी छोटा ही है" अनीता ने स्वाभाविक रूप से कह दिया । 

कामिनी को शिवम का जिक्र करना अच्छा नहीं लगा । वह शिवम को स्वीकार नहीं कर पा रही थी और न ही स्वीकार करना चाहती थी । उसकी आंखों से अनीता को पता चल गया कि उसका शिवम के बारे में बात करना कामिनी को अच्छा नहीं लगा है । वह दबे कदमों से बाहर आ गई । 

क्रमशः 
श्री हरि 
18.5.23 


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3 Comments

वानी

16-Jun-2023 07:16 PM

बहुत खूब

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shahil khan

19-May-2023 08:52 AM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

19-May-2023 09:50 AM

🙏🙏

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